देहरादून। प्रदेश में ट्यूबवेल पर बिजली व्यय कम करने के लिए खाली स्थानों की मैपिंग कर सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित करने की कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं। सचिवालय में विश्व बैंक सहायता प्राप्त अर्ध-शहरी क्षेत्रों में चल रहे उत्तराखण्ड जलापूर्ति कार्यक्रम (2018-2025) की 12वीं उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने यह निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि ट्यूबवेल लगाने से पहले भूजल स्तर की रिपोर्ट अनिवार्य रूप से प्राप्त की जाए और संकटग्रस्त क्षेत्रों की रिपोर्ट जल संस्थान और पेयजल निगम के पास उपलब्ध होनी चाहिए। उन्होंने जल गुणवत्ता, निरंतर जलापूर्ति, ऊर्जा दक्षता, ग्राहकों की संतुष्टि और शिकायत निवारण तंत्र को बेहतर बनाए रखने के लिए ‘गुड प्रैक्टिसेज‘ अपनाने पर जोर दिया। बैठक में बताया गया कि एक हजार बयालीस करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना में 834 करोड़ रुपये विश्व बैंक और 208 करोड़ रुपये राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे हैं। यह योजना देहरादून, टिहरी, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंहनगर के 22 शहरों में लागू है, जिसका उद्देश्य 12 मीटर न्यूनतम प्रेशर के साथ रोजाना 16 घंटे जलापूर्ति और प्रति व्यक्ति 135 लीटर जल देना है। योजना के अंतर्गत चार लाख पैंतीस हजार लोगों को लाभ देने का लक्ष्य है।