टिहरी गढ़वाल। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि गंगा और उसकी सहायक नदियों का पर्यावरणीय, धार्मिक, राष्ट्रीय और आजीविका दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद नदी घाटी क्षेत्र नए आर्थिक जोन बनकर उभरे हैं। नदियों को अनियंत्रित तरीके से दोहन किया जा रहा है। बेतरतीब निर्माण से नदियां करहा रही हैं। खनन, चुगान पर नियंत्रण की जरूरत है। आजटीएचडीसी गेस्ट हाउस में प्रताप नगर विधायक विक्रम सिंह नेगी, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राकेश राणा, शांतिभट्त आदि की उपस्थिति में पत्रकार वार्ता करते हुए उन्होंने कहा गंगा सम्मान यात्रा के उद्देश्य से अवगत कराया। चिंता जताई कि नदियों का अस्तित्व खतरे में है। नदियां के दोनों तटों पर योजनाबद्ध तरीके से कार्य होने चाहिए। प्राधिकरण अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहा है। टिहरी और उत्तरकाशी गंगा, यमुना नदियों के प्रमुख स्थान हैं। इस यात्रा के बाद वह रामगंगा घाटी और शारदा में भी यात्रा निकालेंगे। कहा कि अच्छा होता कि टिहरी के लोगों को टिहरी झील में रोजगार दिया जाता है। उनकी सरकार ने यह कोशिश की थी, जिसका नतीजा सामने है। की राज्य सरकार ने टिहरी क्षेत्र के होटल, हट्स, फ्लोटिंग मरीना पूंजीपतियों को दे दिए हैं। ऐसा न हो कि सरकार टिहरी झील को आउटसोर्स पर न दे दे। उनकी कार्यकाल में बनी साहसिक खेल अकादमी का कोई यूज नहीं हो रहा है। कहा कि 2017 में भाजपा ने उत्तराखंड की राजनीतिक गंगा को भी दूषित किया। एक आदेश बताए कि जिसमें उन्होंने जुमा शुक्रवार की नमाज की सरकारी छुट्टी घोषित की हो और 2022 में मुस्लिम विवि की घोषणा की है। कोई अखबार की कटिंग, न्यूज क्लिप दिखाएगा तो वह राजनीति से सन्यास ले लेंगे। चारधाम यात्रा की ढीली तैयारियों पर चिंता जताते हुए उन्होंने सड़क, शौचालय, पार्किंग को ठीक करने का सुझाव दिया। ऐसा न हो कि पिछले साल से ज्यादा बदनामी यात्रा को लेकर सरकार को न झेलनी पड़े।